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शरीर में जहरीले तत्व: Toxic Substances In The Body

 

Toxin Free Life

शरीर में जहरीले तत्व: Toxic Substances In The Body

टॉक्सिन्स ऐसे जहरीले पदार्थ या तत्व होते हैं जो आपके शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। ये बाहरी स्रोतों से आते हैं, जैसे पैरासाइट्स (बड़ी आंत में पलने वाले कृमि, जो ब्लड को दूषित करने में अग्रणी भूमिका निभाते है), प्रदूषित हवा, दूषित पानी, प्रोसेस्ड भोजन या रासायनिक उत्पाद आदि। इसके अलावा, आपके शरीर की सामान्य प्रक्रियाएं, जैसे मेटाबॉलिज्म भी कुछ अपशिष्ट पदार्थ (मेटाबॉलिक वेस्ट) पैदा करती हैं, जो टॉक्सिन्स की तरह काम करते हैं। अगर ये तत्व शरीर से समय-समय पर बाहर न निकाले गए, तो वे कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकते हैं। आइए, जानें कि शरीर में किन-किन माध्यमों से ये टॉक्सिन्स इकट्ठे होते हैं और इनसे शरीर को क्या-क्या परेशानियाँ हो सकती हैं।

टॉक्सिन्स के स्रोत:

पैरासाइट : बड़ी आंत में पलने वाले कृमि, शरीर में प्रवेश कर अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं, पोषक तत्वों को चुराते हैं और शरीर में विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं। कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक: ये रसायन फल, सब्जियों और अनाज के माध्यम से हमारे भोजन में शामिल हो जाते हैं। प्रोसेस्ड भोजन: फास्टफूड को स्वादिष्ट, आकर्षक और लंबे समय तक खाने योग्य बनाने के लिए इनमें कृत्रिम रंग, प्रिजर्वेटिव और फ्लेवर मिलाए जाते हैं। बोतलबंद पेय: कोल्ड ड्रिंक्स और अन्य बोतलबंद पेय पदार्थों में सोडियम बेंजोएट, एस्पार्टेम और कृत्रिम स्वाद जैसे रसायन होते हैं। जो यकृत, गुर्दे जैसे अंगों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। अशुद्ध पानी: ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल में अक्सर कीटनाशक या रसायन मिले होते हैं। प्रदूषित हवा: शहरों में वाहनों का धुआँ, फैक्ट्रियों का उत्सर्जन, धूल और परागकण भी हमारे फेफड़ों के माध्यम से टॉक्सिन्स को शरीर में ले जाते हैं। मेटाबॉलिक वेस्ट: जब हम भोजन को पचाते हैं, तो शरीर में यूरिया, अमोनिया, या लैक्टिक एसिड जैसे अपशिष्ट पदार्थ बनते हैं। अगर इन्हें समय पर बाहर नहीं निकाला गया, तो ये टॉक्सिन्स की तरह काम करते हैं। मीठे खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन: मोटापा और मधुमेह का कारण बनता है। मांसाहार: मांस में मौजूद बैक्टीरिया या रोग हमारे शरीर में प्रवेश कर बीमारियाँ फैला सकते हैं। धूम्रपान और शराब: सिगरेट में मौजूद निकोटीन, टार और अन्य रासायनिक यौगिक, साथ ही शराब में मौजूद अल्कोहल, आपके फेफड़ों, यकृत को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। दवाओं का अत्यधिक उपयोग: बिना चिकित्सीय सलाह के एंटीबायोटिक्स या पेनकिलर का उपयोग हानिकारक हो सकता है।

टॉक्सिन्स से होने वाली समस्याएं:

1. पाचन तंत्र का बिगड़ना, 2. थकान और कमजोरी का एहसास, 3. त्वचा की समस्याएं, 4. कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र, 5. मानसिक स्वास्थ्य पर असर, 6. लीवर और किडनी पर अतिरिक्त दबाव, 7. सांस, अस्थमा संबंधी समस्याएं, 8. हृदय और रक्त संचार पर प्रभाव, 9. वजन बढ़ना और मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी, 10. जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, 11. असमय डायबिटीज का होना

टॉक्सिन्स फ्री प्रोग्राम क्या है?

अब जब हमने टॉक्सिन्स के दुष्प्रभावों को समझ लिया है, तो आइए जानते हैं कि इनसे कैसे निपटा जाए। सौभाग्य से, प्राकृतिक तरीकों से इनसे छुटकारा पाया जा सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा और योग जैसी प्राचीन विधियां बिना किसी हानिकारक साइड इफेक्ट्स के शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती हैं। हम पांच प्रमुख विधाओं जैसे - 

1. तिब्बती श्वास विज्ञान, माँ-ॐ उच्चारण साधना एवं योगासन

2. पैरासाइट क्लीनिंग

3. ऑल बॉडी आर्गन क्लीनिंग

4. गट हेल्थ

5. कंप्लीट डाइट प्लान 

इन सबके संयोग से टॉक्सिन फ्री प्रोग्राम को अपनाएंगे और अपने शरीर को पूर्ण स्वस्थ और निरोगी बनाएंगे है।

डॉ बृजपाल सिंह चौहान (नेचुरोपैथी)

Contacts – 9893885656

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