Header Ads

• धर्माचार्यो का लाई डिटेक्टर टेस्ट आवश्यक

shri shaktiputra ji maharaj
shri shaktiputra ji maharaj


शक्ति चेतना जनजागरण शिविरधर्म-रक्षार्थ, सत्य-परीक्षण हेतु ससम्मान चुनौतीपूर्ण आह्वान-shri shaktiputra ji maharaj


वर्तमान समय में जिस तरह समाज के बीच अनीति-अन्याय-अधर्म एवं भय-भूख-भ्रष्टाचार व्याप्त है, इसका मूल कारण धर्म की हानि है। क्योंकि जब-जब धर्म का पतन होता है, अधर्म अपना साम्राज्य स्थापित करने में सफल हो जाता है। किसी भी समाज का मूल स्तम्भ धर्म ही होता है। वर्तमान में समाज के बीच अपने आपको तथाकथित सिद्ध महापुरुष, परमहंस, योगऋषि, कुण्डलिनी चेतना से परिपूर्ण, तांत्रिक-मांत्रिक कहलाने वाले सामज से तो स्वयं को पुजवा रहे हैं, मगर वास्तव में उनके अन्दर वह पात्रता नहीं है। ऐसे लोग धर्म के नाम पर समाज से छल कर रहे हैं, इसीलिए अब वह समय आ गया है कि समाज में यदि हमें धर्म की स्थापना व अधर्म का नाश करना है, तो सिद्ध साधकों की पात्रता का सत्य-परीक्षण कराना अनिवार्य हो चुका है। यह तलाशा जा सके कि समाज के बीच कौ-कौन से ऐसे सिद्ध साधक हैं, जिनके पास साधनात्मक तपबल की सामथ्र्य है और उन सभी में से सर्वश्रेष्ठ चेतनावान तपस्वी ऋषि कौन है? क्योंकि, एक चेतनावान तपस्वी ऋषि के मार्गदर्शन में ही धर्म की स्थापना कर शान्ति, समृद्धि एवं सन्तुलन स्थापित किया जा सकता है। धर्मसम्राट युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा इसीलिए विश्व-अध्यात्म जगत को साधनात्मक तपबल की चुनौती दी गई है व सामाज के सभी सदस्यों को इस आयोजन में सहभागी बनने हेतु आह्वान भी किया गया है।


चुनौती निम्न बिन्दुओं पर आधारित होगी:

ø सर्वप्रथम, यह परीक्षण किया जाए कि किसके पास ध्यान व समाधि में जाने की पात्रता है?

ø द्वितीय, यह कि किसने अपने सूक्ष्म शरीर को जाग्रत कर, कारण शरीर की प्राप्ति की है?

ø तृतीय, यह कि किसने अपनी पूर्ण कुण्डलिनी चेतना को जाग्रत किया है?

ø चतुर्थ, यह कि समाज के बीच किसी भी प्रकार के कार्य को तपबल के माध्यम से कर पाने की सामथ्र्य किसके पास है?
ø पंचम, यह कि किसने इस सृष्टि की रचयिता परमसत्ता के दर्शन प्राप्त कर एकाकार किया है?

सत्य-परीक्षण का तरीका
वर्तमान में विज्ञान ने इतनी तरक्की की है कि इस सत्य का परीक्षण करना अत्यन्त सरल हो गया है, जैसे लाई-डिटेक्टर मशीन द्वारा किसी के सच या झूठ को पकडऩा व अन्य वैज्ञानिक यन्त्रों के माध्यम से किसी की भी मानसिक तरंगों व मानसिक क्षमताओं का आंकलन करना।

नोट: इस ससम्मान चुनौतीपूर्ण आह्वान को, जो भी स्वीकार कर रहे हों, वे 5 नवम्बर 2011 तक अपनी लिखित सूचना संगठन के केन्द्रीय कार्यालय व दिल्ली के प्रान्तीय कार्यालय में अवश्य प्रस्तुत करें, जिससे आगन्तुक के अनुरूप व्यवस्था प्रदान की जा सके।


                                                                     धन्यवाद के साथ आपका

                                                                    बृजपाल सिंह चौहान
                                                                        'संकल्प शक्ति
                                                                  राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र
Theme images by Veni. Powered by Blogger.