• विनाश लीला
विनाश लीला (Disaster)
सेन्दई बन्दरगाह पानी में पूरी तरह डूब गया था। चारों तरफ हा-हाकार मचा था। इस तबाही से बचने के लिये लोग घरों की छतों पर चढ़े हुए मदद के लिये चिल्ला रहे थे, परन्तु उनकी सुनने वाला वहां पर कोई नहीं था। अब तक 10 हजार से भी अधिक लोगों के मरने की खबरे आ चुकी है। टोक्यो में मोबईल नेटवर्क पूरी तरह ठप्प हो गया था। टोक्यो से केवल 250 कि.मी. उत्तर में स्थित फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रियेक्टर नं. 1 में विस्फोट हो गया था और रेडियोधर्मी रिसाव होने लगा । नवीनतम जानकारी के अनुसार, दिनांक 14.11.2011 को रियेक्टर नं. 3 में गर्मी बढ़ने के कारण हाइड्रोजन ब्लास्ट हो गया। साथ रियेक्टर नं. 2 में भी गर्मी बढ़ने की वजह से कूलेण्ट समाप्त हो गया है। इसलिए यहां पर किसी भी तरह की घटना घटित हो सकती है। ओनागावा परमाणु रियेक्टर में भी कूलिंग सिस्टम ठप्प हो गया है तथा टोहुकू थर्मल प्लांट में तेल टैंक फट गया है। इस प्रकार, परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी रिसाव के कारण लोगों की जान के लिये नया जोखिम उत्पन्न हो गया है। इसीलिए, जापान सरकार ने अपने पांचों परमाणु संयंत्रों पर आपातकाल लगा दिया है और ‘राष्ट्रव्यापी परमाणु अलर्ट’ घोषित कर दिया है। सरकार ने लोगों को संयत्रों से कम से कम 20 कि.मी. दूर रहने की हिदायत दी है साथ हजापान के इतिहास में, यह अब तक की सबसे भीषणतम प्राकृतिक आपदा है। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने विपत्ति की इस घड़ी में विश्व समुदाय से जापान के लिये मदद की गुहार लगाई है। जो संस्थाए वहां पर राहत कार्य कर रही हैं, उनमें रेडक्रॉस, शेल्टरबॉक्स, इन्टरनेशनल मेडिकल कॉर्प्स ग्लोबल गिविंग डॉट ओआरजी तथा साल्वेशन आर्मी मुख्य हैं।
जापान में आए इस विनाशकारी भूकम्प के बाद धरती इतनी हिली कि दिन थोड़ा सा छोटा हो गया। पृथ्वी की अपनी धुरी पर चक्कर लगाने की गति 1.6 माइक्रोसेकेण्ड बढ़ गई। 1 माइक्रोसेकेण्ड, 1 सेकेण्ड का 10 लाखवां हिस्सा होता है।
आज दिनांक 14.3.2011 को पुनः नया भूकंप आया जिसकी तीव्रता 6.3 नापी गई, जिससे बहुत ज्यादा क्षति के समाचार नहीं हैं, आज भी मलबे से लाशे निकाली जा रहीं हैं।
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