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परजीवी (Parasite) क्लीनिंग, सैकड़ों बीमारियों की जड़ पेट के कीडे़

Parasite


परजीवी (Parasite) क्लीनिंग, सैकड़ों बीमारियों की जड़ पेट के कीडे़

आयुर्वेद के अनुसार, आंतों के कीड़े सभी मनुष्यों में पाए जाते हैं। इनकी लंबाई 1 सेमी से 1 फुट तक हो सकती है और जीवनकाल 10-12 वर्ष होता है। ये कीड़े आपके भोजन से पोषक तत्वों को चुराते हैं, आंतों को नुकसान पहुंचाकर खून चूसते हैं और जहरीला मल छोड़ते हैं, जिससे पाचन तंत्र खराब होता है। यह विषाक्त पदार्थ खून में मिलकर हृदय, फेफड़े, गुर्दे, मस्तिष्क आदि को प्रभावित करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और कई रोग उत्पन्न होते हैं।

शरीर में पैरासाइट्स की मौजूदगी के कुछ सामान्य लक्षण: एलर्जी, एनीमिया या आयरन की कमी ।। पेट में जलन, गैस, कब्ज, डायरिया ।। त्वचा रोग: एक्जिमा, दाद-खाज, रैशेज, सूजन ।। नींद में दांत किटकिटाना, थकान, डिप्रेशन ।। भूख न लगना, वजन घटना या बढ़ना, अचानक हृदय की धड़कन तेज होना ।। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, खुजलाहट (कान, नाक, एनस आदि में) ।। बार-बार इन्फेक्शन, घबराहट, या सेक्स संबंधी समस्याएं।

 

पैरासाइट क्लीनिंग के लाभ

  • पाचन सुधार: पैरासाइट्स गट को प्रभावित करते हैं; क्लीनिंग से पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है।
  • एनर्जी बढ़ना: टॉक्सिन्स कम होने से थकान दूर होती है।
  • त्वचा और बालों की सेहत: पैरासाइट्स से जुड़ी समस्याएं जैसे एक्ने (मुहाँसे) या बाल झड़ना कम होता है।
  • इम्यून सिस्टम मजबूत करना: पैरासाइट्स इम्यून को कमजोर करते हैं; क्लीनिंग से इन्फेक्शंस का खतरा घटता है।
  • वजन प्रबंधन: पैरासाइट्स मेटाबॉलिज्म बिगाड़ते हैं; क्लीनिंग से वेट गेन या लॉस, बैलेंस होता है।
  • मसल्स और जॉइंट्स में राहत: सूजन से दर्द होता है; क्लीनिंग से मसल पेन और जोड़ों की परेशानी कम होती है।
  • मानसिक स्पष्टता और मूड सुधार: टॉक्सिन्स से मानसिक शिथिलता होती है; क्लीनिंग से स्पष्टता और मूड बेहतर होता है।
  • बेहतर नींद: रात में ठीक से नींद नहीं आती है; क्लीनिंग से स्लीप क्वालिटी बढ़ती है।
  • समग्र डिटॉक्सिफिकेशन और सूजन कम करना: पैरासाइट्स पूरे शरीर में इन्फ्लेमेशन फैलाते हैं; क्लीनिंग से टॉक्सिन और सूजन घटती है।

पैरासाइट क्लीनिंग कैसे करें:

पैरासाइट्स जैसे कीड़े या बैक्टीरिया शरीर में टॉक्सिन्स छोड़ते हैं, जो पाचन और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं। पैरासाइट क्लीनिंग, एलोपैथिक दवाओं या आयुर्वेदिक दवाओं या कुछ मॉडर्न तरीकों से की जाती है। यह तरीके इन हानिकारक परजीवीयों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

नोट:  एलोपैथिक दवाएं केवल सामान्य कीड़ों को ही मार सकती हैं, जबकि आयुर्वेदिक दवाएं राउंडवर्म, हुकवर्म, व्हिपवर्म, टेपवर्म, जियार्डिया और एंटामीबा हिस्टोलिटिका जैसे अनेक खतरनाक कीड़ो को समाप्त करने में प्रभावी हैं। इसी प्रकार मॉडर्न दवा, जैसे क्लार्किया टिंक्चर, इलेक्ट्रॉनिक जैपर, पल्सर और कोलाइडल सिल्वर भी इन पैरासाइट्स को नष्ट करने में सहयोगी हैं, परंतु ये कीमत में महंगे और आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।

a. कृमि कल्प (आयुर्वेदिक दवा)

इस आयुर्वेदिक दवा के सेवन से पेट के लगभग समस्त प्रकार के कृमि नष्ट होते हैं । यह दवा वर्ष में दो बार जरूर खानी चाहिए।

सेवन विधि:- दवा की तीन खुराक बनाएं, सुबह खाली, पेट आधा-आधा घंटे के अंतर में तीनों खुराक दवा को चीनी या गुड़ के मीठे शरबत के साथ खा लें। इसके बाद लगभग 1 घंटे धूप जरूर सेंके और यदि उपलब्ध हो तो कच्चे नारियल की गिरी जरूर खाएं। दवा खाने के 5 घंटे बाद ही नाश्ता या खाना खाएं।  

b. नीम कल्प:

नीम कल्प चूर्ण मुख्य रूप से detoxifying (शरीर शोधक), पाचन सुधारक और रक्त शुद्धिकारक गुणों वाला होता है। यह चूर्ण निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याओं में सहायक होता है: परजीवी और कीड़ों का नाश, त्वचा रोगों में राहत, पाचन संबंधी विकार में राहत, मधुमेह नियंत्रण, वजन (मोटापा) प्रबंधन, हाई ब्लड प्रेशर में सुधार, आंखों और लीवर में स्वास्थ्य सुधार, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत आदि।

सेवन विधि:- चार ग्राम चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार लें। सुबह खाली पेट और रात्रि में खाने के पहले सेवन करें। मात्रा व्यक्ति की प्रकृति (वात-पित्त-कफ) पर निर्भर करती है। इसलिए चिकित्सक की सलाह अनिवार्य है।

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