गट हेल्थ (Gut Health): आपके पेट की खुशहाली का रास्ता
4. गट हेल्थ (Gut Health): आपके पेट की खुशहाली का रास्ता
क्या आपने
कभी सोचा है कि आपकी सेहत का असली राज आपके पेट में छिपा हो सकता है? जी हां, हम बात कर रहे हैं गट स्वास्थ्य की, हमारी
आंतों में लगभग 100 ट्रिलियन सूक्ष्मजीव रहते हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये बैक्टीरिया,
यीस्ट और अन्य सूक्ष्मजीव हमारे पाचन, इम्यून
सिस्टम और यहां तक कि हमारे मूड को भी प्रभावित करते हैं। ये गट बैक्टीरिया आपके
भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं, ताकि आपका शरीर
उनसे ऊर्जा और पोषक तत्व ले सके। बिना स्वस्थ गट के, आप
कितना भी पौष्टिक खाना खाएँ, आपका शरीर उसे पूरी तरह
इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। अच्छे बैक्टीरिया जटिल कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मदद
करते हैं।
1. प्रोबायोटिक्स (Probiotics)
प्रोबायोटिक्स
अच्छे बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव होते हैं जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।
ये मुख्य रूप से हमारे पेट और आंतों की सेहत को बेहतर बनाते हैं, जैसे कि पाचन को
आसान करना, इम्यून सिस्टम को मजबूत करना और कुछ बीमारियों से
बचाव करना। सरल शब्दों में, ये "अनुकूल
बैक्टीरिया" हैं जो खाने या सप्लीमेंट्स के जरिए लिए जाते हैं, जैसे दही, अचार या प्रोबायोटिक कैप्सूल में पाए जाते
हैं। ये हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ते हैं और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते
हैं।
प्रोबायोटिक्स
के कुछ महत्वपूर्ण बैक्टीरिया:
- लैक्टोबैसिलस: यह
बैक्टीरिया भोजन को पचाने और लैक्टोज (दूध की शक्कर) को तोड़ने में मदद करता
है। यह दस्त, कब्ज, और इर्रिटेबल
बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसे लक्षणों को कम करता है।
- बिफिडोबैक्टीरियम: यह गट में
सूजन को कम करता है, पाचन को बेहतर बनाता है, और इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। यह विशेष रूप से बच्चों और
बुजुर्गों के लिए फायदेमंद है।
- सैक्रोमाइसेस बाउलार्डी: यह एक यीस्ट
है, जो दस्त और गट में हानिकारक बैक्टीरिया को
नियंत्रित करने में मदद करता है।
प्रोबायोटिक्स
आपके गट को एक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। ये म्यूकस लेयर को मजबूत करते
हैं, जो गट की दीवारों को विषाक्त पदार्थों और हानिकारक रोगाणुओं से बचाता है।
प्रोबायोटिक पैदा करने वाला भोजन
प्रोबायोटिक
भोजन वे खाद्य
पदार्थ हैं, जिनमें जीवित प्रोबायोटिक्स प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं। ये खाद्य
पदार्थ फर्मेंटेशन प्रक्रिया से बनते हैं, जिसमें बैक्टीरिया
या यीस्ट भोजन को तोड़ते हैं, जिससे स्वाद, पोषण, और प्रोबायोटिक सामग्री बढ़ती है। ये खाद्य
पदार्थ न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि आपके गट को एक
जीवंत और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं।
- दही: प्रोबायोटिक्स
का राजा! घर का बना दही, जिसमें लैक्टोबैसिलस और
बिफिडोबैक्टीरियम जैसे जीवित बैक्टीरिया हों, गट
के लिए शानदार है। यह प्रोटीन, कैल्शियम, और प्रोबायोटिक्स का बेहतरीन स्रोत है। इसे सादा खाएँ या फल और शहद
के साथ मिलाकर खाएं।
- केफिर: यह फर्मेंटेड
दूध पेय दही से भी ज्यादा विविध प्रोबायोटिक्स और यीस्ट प्रदान करता है। इसका
स्वाद हल्का खट्टा होता है, और यह स्मूदी, शेक, या सादा पीने के लिए बढ़िया है।
- किमची: कोरियाई
फर्मेंटेड सब्जी, जो मुख्य रूप से पत्ता गोभी और मूली
से बनती है। यह प्रोबायोटिक्स, फाइबर, विटामिन C, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है।
इसका तीखा और मसालेदार स्वाद चावल, रोटी, या सलाद के साथ कमाल का लगता है।
- साउरक्राउट: जर्मन स्टाइल
की फर्मेंटेड पत्ता गोभी, जो प्रोबायोटिक्स, फाइबर, और विटामिन K प्रदान
करती है। इसे सैंडविच, सलाद, या
साइड डिश के रूप में खाएँ।
- कंबुचा: यह फर्मेंटेड
चाय पेय प्रोबायोटिक्स, एंटीऑक्सीडेंट्स, और हल्का कार्बोनेशन प्रदान करता है। इसका स्वाद फल या हर्ब्स के
आधार पर अलग-अलग हो सकता है। इसे ठंडा पिएँ।
- मिसो: जापानी
फर्मेंटेड सोया पेस्ट, जो सूप, ड्रेसिंग,
या मैरिनेड में इस्तेमाल होता है। यह प्रोबायोटिक्स, प्रोटीन, और उमामी स्वाद देता है।
नोट: प्रोबायोटिक खाद्य
पदार्थों को ताज़ा और ठंडा रखें, क्योंकि ज्यादा गर्मी या
लंबे समय तक स्टोर करने से जीवित सूक्ष्मजीव मर सकते हैं। खरीदते समय लेबल पर
“लाइव और एक्टिव कल्चर” की जाँच करें, और ज्यादा चीनी या
प्रिजर्वेटिव्स वाले उत्पादों से बचें।
2. प्रीबायोटिक्स (
प्रीबायोटिक्स
ऐसे गैर-पचने योग्य फाइबर हैं जो आपके पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया के लिए
स्वादिष्ट भोजन का काम करते हैं। ये फाइबर न तो हमारा शरीर पचा पाता है और न ही
अवशोषित करता है, लेकिन ये हमारे आंतों में रहने वाले लाभकारी बैक्टीरिया के लिए एक शानदार
खाद्य होते हैं। ये बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं, सूजन को कम करते हैं, और हमारे पाचन तंत्र को एक
खुशहाल और स्वस्थ जगह बनाते हैं। लेकिन ध्यान दें, प्रीबायोटिक्स सिर्फ बैक्टीरिया
के लिए भोजन नहीं हैं; ये हमारे पूरे शरीर के लिए एक वरदान
हैं। ये हमारे पाचन को बेहतर बनाते हैं, इम्यून सिस्टम को
मजबूत करते हैं, और मूड को भी सुधारते हैं।
प्रीबायोटिक भोजन:
ये खाद्य
पदार्थ न सिर्फ आपके पेट को खुश रखते हैं, बल्कि आपकी रसोई को भी रंगीन और
स्वादिष्ट बनाते हैं। आइए, कुछ लोकप्रिय प्रीबायोटिक खाद्य
पर नजर डालें:
1.
लहसुन: लहसुन सिर्फ आपके खाने को स्वादिष्ट
नहीं बनाता, बल्कि यह प्रीबायोटिक फाइबर इनुलिन और FOS
का भी शानदार स्रोत है। यह अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है और
हानिकारक बैक्टीरिया को कम करता है। इसे अपनी सब्जियों, दाल,
या करी में डालें और सेहत का जादू देखें!
2.
प्याज: प्याज हर भारतीय रसोई का हिस्सा है,
और यह प्रीबायोटिक्स का खजाना है। इसमें इनुलिन और FOS होते हैं, जो आंत के बैक्टीरिया को पोषण देते हैं।
चाहे आप इसे कच्चा सलाद में खाएं या पकाकर सब्जी में डालें, प्याज
आपके पेट के लिए एक वरदान है।
3.
केला: थोड़ा पका हुआ केला न सिर्फ मीठा और
स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह प्रीबायोटिक फाइबर से भी भरपूर
होता है। खासकर हल्के हरे केले में रेसिस्टेंट स्टार्च होता है, जो प्रीबायोटिक की तरह काम करता है। इसे स्मूदी, डेजर्ट,
या नाश्ते में शामिल करें।
4.
शतावरी (एस्पैरागस): यह हरी सब्जी
प्रीबायोटिक इनुलिन से भरपूर होती है। इसे हल्का भूनकर या सलाद में डालकर खाएं,
और अपने पेट को खुश करें।
5.
ओट्स: ओट्स नाश्ते का सुपरस्टार है,
और यह प्रीबायोटिक फाइबर बीटा-ग्लूकन का शानदार स्रोत है। इसे दूध,
फल, और नट्स के साथ खाएं, और अपने दिन की शुरुआत स्वस्थ तरीके से करें।
6.
चुकंदर: यह लाल रंग की सब्जी न सिर्फ खाने
में रंग जोड़ती है, बल्कि प्रीबायोटिक फाइबर से भी भरपूर
होती है। इसे कच्चा या उबालकर सलाद में या जूस के रूप में लें।
7.
साबुत अनाज: जौ, गेहूं, चना
और सभी मिलेट्स जैसे साबुत अनाज प्रीबायोटिक फाइबर के अच्छे स्रोत हैं। इन्हें
रोटी, दलिया, या सूप में शामिल करें।
8.
सेब: एक सेब रोजाना खाने से न सिर्फ
डॉक्टर दूर रहता है, बल्कि आपका माइक्रोबायोम भी खुश रहता
है। सेब में पेक्टिन नामक प्रीबायोटिक फाइबर होता है, जो आंत
के लिए फायदेमंद है।
9.
चिकोरी रूट: चिकोरी की जड़ इनुलिन का एक शानदार
स्रोत है। इसकी सुखी हुईं जड़ का पाउडर कॉफी के विकल्प के रूप में या ताजी जड़ को सलाद
में इस्तेमाल किया जा सकता है।
10.
हरी मटर और बीन्स: हरी मटर, राजमा,
सोयाबीन, सेम, लोबिया और छोले जैसी फलियां प्रीबायोटिक फाइबर से
भरपूर होती हैं। इन्हें सब्जी, सलाद, सूप
या स्नैक्स के रूप में खाएं।
इन खाद्य पदार्थों
को अपनी डाइट में शामिल करना न सिर्फ आसान है, बल्कि यह आपके खाने को और भी मजेदार
बनाता है। लेकिन ध्यान रखें कि प्रीबायोटिक्स को धीरे-धीरे अपनी डाइट में शामिल
करें, क्योंकि अचानक ज्यादा फाइबर खाने से पेट में गैस या
सूजन हो सकती है।
प्रीबायोटिक्स के फायदे: पेट से लेकर दिमाग तक
प्रीबायोटिक्स
सिर्फ आपके पेट के लिए ही नहीं, बल्कि आपके पूरे शरीर के लिए फायदेमंद हैं। आइए, इनके कुछ प्रमुख फायदों पर नजर डालें:
1.
बेहतर पाचन: प्रीबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया को
बढ़ाकर पाचन को सुधारते हैं। ये कब्ज, दस्त और इर्रिटेबल
बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करते
हैं।
2.
मजबूत इम्यून सिस्टम: आपकी आंत आपके
इम्यून सिस्टम का 70% हिस्सा बनाती है। प्रीबायोटिक्स अच्छे
बैक्टीरिया को बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं, जिससे
आप बीमारियों से बेहतर लड़ सकते हैं।
3.
सूजन में कमी: प्रीबायोटिक्स से बनने वाले SCFAs
सूजन को कम करते हैं, जो हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है।
4.
वजन प्रबंधन: प्रीबायोटिक्स भूख को नियंत्रित करने
वाले हार्मोन को प्रभावित करते हैं, जिससे आपको कम भूख लगती
है। साथ ही, ये मेटाबॉलिज्म को भी बेहतर बनाते हैं।
5.
हड्डियों की सेहत: कुछ प्रीबायोटिक्स, जैसे इनुलिन, कैल्शियम और मैग्नीशियम के अवशोषण को
बढ़ाते हैं, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
6.
बेहतर मूड: आपकी आंत और दिमाग एक-दूसरे से जुड़े
हुए हैं, जिसे गट-ब्रेन एक्सिस कहा जाता है।
प्रीबायोटिक्स तनाव, चिंता और डिप्रेशन को कम करने में मदद
कर सकते हैं।
7.
कैंसर का जोखिम कम: SCFAs, खासकर ब्यूटिरेट, कोलन कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
इन फायदों
को देखकर यह साफ है कि प्रीबायोटिक्स सिर्फ एक फाइबर नहीं, बल्कि सुपरफूड हैं,
जो आपके शरीर को हर तरह से फायदा पहुंचाते हैं।
3. फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थ: गट का
झाड़ू
फाइबर गट हेल्थ का आधार है। यह मल त्याग
को नियमित करता है, गट बैक्टीरिया को पोषण देता है, और विषाक्त पदार्थों
को बाहर निकालता है। फाइबर दो प्रकार का होता है: घुलनशील (जो पानी में घुल जाता
है) और अघुलनशील (जो मल को बल देता है)। दोनों गट के लिए जरूरी हैं। कुछ फाइबरयुक्त
खाद्य पदार्थ हैं:
- साबुत अनाज: ओट्स,
क्विनोआ, ब्राउन राइस और जौ फाइबर और
पोषक तत्व प्रदान करते हैं। ओट्स से बना दलिया नाश्ते के लिए शानदार है।
- फल: सेब (छिलके सहित),
जामुन (ब्लूबेरी, रसभरी) और नाशपाती
फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर हैं। इन्हें स्नैक या स्मूदी में लें।
- सब्जियाँ: ब्रोकली,
गाजर और हरी पत्तेदार सब्जियाँ (जैसे पालक, लाल भाजी, मेथी
भाजी) फाइबर और विटामिन्स प्रदान करती हैं। इन्हें सलाद, सूप या भुनी हुई सब्जी के रूप में खाएँ।
- दालें: मूंग, मसूर,
चना, अरहर और राजमा फाइबर, प्रोटीन और
खनिजों का खजाना हैं। इन्हें करी, सूप या सलाद में
शामिल करें।
गट हेल्थ को बेहतर बनाने के तरीके
अब जब आप
गट हेल्थ के महत्व को समझ चुके हैं, तो आइए जानें जरूरी है कि इसे कैसे बेहतर
बनाया जा सकता है। यहाँ कुछ आसान और रोचक तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने पेट को
खुश रख सकते हैं:
गट हेल्थ के लिए सुबह का नास्ता
बासी चावल: आपके स्वास्थ्य
के लिए अमृत
भारत में
चावल एक प्रमुख भोजन है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रात के बचे हुए चावल, जिन्हें
हम "बासी चावल" कहते हैं, आपके स्वास्थ्य के लिए
अमृत हो सकते हैं? ये न केवल पाचन तंत्र को ठीक करते हैं,
बल्कि वजन प्रबंधन, इम्यूनिटी, और ऊर्जा बढ़ाने में भी मदद करते हैं। यह प्राचीन भारतीय ज्ञान पर आधारित
एक प्रोबायोटिक डिश है, जिसे सही तरीके से तैयार करने पर यह
औषधीय गुणों से भरपूर हो जाती है।
बासी चावल
वे चावल हैं जो रात के भोजन के बाद बच जाते हैं। इन्हें फेंकने के बजाय, एक साधारण
प्रक्रिया से प्रोबायोटिक डिश में बदला जा सकता है। यह विधि सादे स्टीम चावल (बिना
तेल, घी, या तड़के वाले) के लिए लागू
होती है।
स्वास्थ्य लाभ
- पाचन तंत्र को ठीक करता है: बासी चावल गट
बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जिससे IBS (इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम), IBD (इन्फ्लेमेटरी
बाउल डिजीज) और पाचन संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं। यह उन लोगों के लिए वरदान
है जिनका पेट सलाद या खिचड़ी भी नहीं पचा पाता।
- इम्यूनिटी बढ़ाता है: 80% इम्यूनिटी
गट में होती है। बासी चावल में मौजूद प्रोबायोटिक बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम
को मजबूत करते हैं।
- वजन प्रबंधन: यह वजन कम
करने में मदद करता है,
- ऊर्जा और मूड: यह मस्तिष्क
की गतिविधि को बेहतर करता है, ऊर्जा बढ़ाता है, और मूड को स्थिर रखता है।
- अन्य लाभ: डायबिटीज,
हाई ब्लड प्रेशर, और मेटाबॉलिक सिंड्रोम
जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक है।
आवश्यक सामग्री (2-3 लोगों के लिए)
- बासी चावल: रात के बचे
हुए सादे स्टीम चावल (बिना तेल, घी, या तड़के के), 1-2 कटोरी।
- पानी: चावल भिगोने
के लिए।
- काला नमक या सेंधा नमक या
समुद्री नमक: स्वादानुसार (पैकेट वाला सफेद नमक न डालें)।
- स्वाद और प्रीबायोटिक्स के
लिए:
- भुना
हुआ जीरा: 1 चम्मच।
- करी
पत्ता: 4-5
पत्ते।
- प्याज:
1 छोटा, बारीक कटा (प्रीबायोटिक स्रोत)।
- लहसुन:
1-2
कलियां, बारीक कटी (वैकल्पिक)।
बनाने की विधि
1.
रात में खाना खाने के बाद बचे हुए स्टीम चावल को रात
में ही एक साफ कटोरे में डालें। इसमें इतना पानी डालें कि चावल पानी में भीग जाएं, और हल्का मैश
करें ताकि दाने अलग हो जाएँ। इसे रात भर के लिए ढककर रखें। इस दौरान चावल का
स्टार्च टूटता है, जिससे प्रोबायोटिक बैक्टीरिया विकसित होते हैं।
2.
सुबह फ़र्मेन्टेड चावल में स्वाद के लिए काला नमक या
सेंधा नमक या समुद्री नमक डालें। भुना हुआ जीरा, करी पत्ता, बारीक
कटा प्याज, और लहसुन मिलाएं। प्याज और लहसुन प्रीबायोटिक्स
प्रदान करते हैं, जो गट बैक्टीरिया को पोषण देते हैं।
3.
अगर बच्चों के लिए बना रहे हैं या स्मूथ टेक्सचर
चाहते हैं, तो चावल और अन्य सामग्री को ग्राइंडर में पीसकर पेस्ट बना लें। पानी डालकर
शेक जैसी कंसिस्टेंसी बनाएं।
सेवन का तरीका
- सुबह नाश्ते में 1 कटोरी सप्ताह
में दो या तीन बार ।
- बासी चावल (प्रोबायोटिक) के
साथ प्याज, फल, या सब्जियां (प्रीबायोटिक्स) खाएं ताकि गट
बैक्टीरिया को पूरा पोषण मिले।
कांजी, बीटरूट (चुकंदर) की
कांजी
(बीटरूट वाली फर्मेंटेड ड्रिंक) बनाने की विधि को स्टेप-बाय-स्टेप तरीके से दिया
गया है। यह एक प्रोबायोटिक ड्रिंक है जो गट हेल्थ के लिए फायदेमंद है।
आवश्यक सामग्री (1.5 लीटर जार के
लिए):
- 1 बीटरूट
(चुकंदर) - बड़ा साइज का।
- पानी: जार भरने जितना (नॉर्मल
या आ रो पानी)।
- नमक: 1 चम्मच समुद्री नमक और
1 चम्मच काला नमक।
- राई (मस्टर्ड सीड्स): अधपिसी 1-2 चम्मच (लगभग
10-20 ग्राम)।
- जीरा (Cumin): जीरा हल्का भुना हुआ 1-2 चम्मच
- आंवला: (अगर उपलब्ध हो तो,
अन्यथा रहने दें)
- जार: ग्लास का (प्लास्टिक का
नहीं)।
बनाने की विधि (स्टेप-बाय-स्टेप):
1.
जार तैयार करें: एक साफ ग्लास का जार लें (लगभग 1.5
लीटर का)। प्लास्टिक का जार इस्तेमाल न करें। जार में पानी भरें (जार
में सामग्री और पानी डालने के बाद 20% जगह बची रहे)।
2.
बीटरूट तैयार करें: एक ताजा बीटरूट लें। बीटरूट को छीलें
नहीं (छिलके में नेचुरल बैक्टीरिया होते हैं जो फर्मेंटेशन में मदद करते हैं)। इसे
नॉर्मल पानी से अच्छी तरह धो लें। अब बीटरूट को 20-22 टुकड़ों
में काटें और जार में डाल दें।
3.
नमक डालें: जार में 1 चम्मच समुद्री नमक और 1 चम्मच
काला नमक डालें। यह स्वाद और फर्मेंटेशन दोनों के लिए जरूरी है।
4.
राई डालें: 1-2 चम्मच राई अधपिसी (मस्टर्ड
सीड्स) डालें। यह फर्मेंटेशन प्रोसेस को बढ़ावा देती है।
5.
जीरा डालें: जीरा (Cumin) हल्का भुना
और पिसा हुआ 1-2 चम्मच डालें। इसका
प्रयोग पाचन, सूजन कम करने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने के
लिए किया जाता है।
6.
आंवला डालें: एक आंवला लें, अच्छी तरह धो लें।
इसे 4-5 छोटे टुकड़ों में काटें, बीज
निकालकर फेंक दें, और टुकड़ों को जार में डाल दें। यह
बैक्टीरिया के लिए अतिरिक्त पोषण देता है।(अगर उपलब्ध हो तो, अन्यथा रहने दें)
7.
जार बंद करें: ढक्कन को हल्का ढीला रखें ताकि
फर्मेंटेशन के दौरान निकलने वाली गैस बाहर निकल सके। अगर ढक्कन टाइट होगा, तो जार फट सकता है।
8.
फर्मेंटेशन: जार को 3-4 घंटे के लिए धूप में
रखें।
o गर्म इलाकों (जैसे मध्य भारत) में:
36 घंटे में तैयार
हो सकती है।
o उत्तर भारत में (सर्दियों में): 48-72 घंटे लग सकते
हैं (धूप कम होने पर)।
9.
उपयोग और स्टोरेज:
o तैयार होने पर स्वाद चखें – यह
खट्टी और स्वादिष्ट लगनी चाहिए।
o 1.5 लीटर की कांजी
को 2-3 दिनों में पी लें। (इसे पूरा परिवार पी सकता है)
o पीने के बाद जार खाली करके और अच्छी
तरह से धुलकर नई सामग्री से दोबारा बनाएं।
o इस कांजी को लगभग 100-150 ग्राम
सुबह खाली पेट या दोपहर के खाने के बाद पी सकते हैं।
o सप्ताह में केवल 3-4 दिन ही इस
कांजी को पियें, और 3 दिन का अंतराल रखें।
o खाने में फाइबर (फल-सब्जियों) का
उपयोग जरूर करें, क्योंकि गट बैक्टीरिया को फाइबर से पोषण मिलता है।
सावधानियां:
- जार हमेशा ग्लास का इस्तेमाल
करें।
- छीलकर बीटरूट न डालें, वरना
बैक्टीरिया कम होंगे।
- फर्मेंटेशन के दौरान ढक्कन
ढीला रखें।
- अगर फंगस आ जाए(सफेद या हरा) तो
फेंक दें।
फायदे:
- इस कांजी के सेवन से गट
बैक्टीरिया बढ़ता है, जिससे कब्ज, एसिडिटी, फंगल/बैक्टीरियल
इंफेक्शन, ब्लोटिंग, गैस, मूड स्विंग्स, नींद की समस्या कम होती है।
- बालों की ग्रोथ, स्किन ग्लो
बढ़ता है।
- वजन कम करने में मदद करता है
(धीरे-धीरे)।
- 3-4 दिनों में
फायदे दिखने लगते हैं।
नोट:- इसी प्रकार आप कैरेट (गाजर) की कांजी भी बना सकते हैं। या आप दोनों को एक साथ मिलाकर
भी कांजी बना सकते हैं।
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