घृत कुमारी (एलोवीरा) शरीर को निरोगी रखने में सहायक
घृतकुमारी का पौधा 2 फुट तक ऊंचा तथा पूरे भारतवर्ष में पैदा होता है। इसके पूरे पेंड़ में पत्ते ही पत्ते होते हैं। यह पत्ते दो फुट तक लम्बे तथा नीचे तने के पास चार इंच तक चौड़े मोटे दलदार तथा ऊपर पतले आकार के होते है। जिनमें सफेद चमकीला गूदा रहता है। यही गूदा ज्यादातर दवा के काम में आता है। इसमें एक पीले कलर का रस भी होता है। इसका गूदा लेसदार होता है। यह जाति भेद के अनुसार दो प्रकार का होता है। एक प्रजाति बहुत कड़वी तथा दूसरी मीठी होती है। हम ज्यादातर मीठी प्रजाति को ही दवा के रूप में उपयोग करते हैं।
यह पेट (आमाशय) के लिये अत्यन्त लाभदायक होता है। यह आमाशय की अनियमित क्रियाओं को नियमित करता है। पेट में बनने वाली गैस, बदहजमी, मन्दाग्नि, अपच, खट्टी डकारें आदि अनेकों परेशानियों को सही करता है। यह खाने में हल्का कड़वा, मीठा, शीतल, धातुपरिवर्तक, मज्जावर्धक, कामोद्दीपक, कृमिनाशक, विषनिवारक होता है। यह श्वांस, कुष्ठ, पीलिया, पथरी, चर्मरोग, खांसी, तिल्ली वृद्धि, वमन, ज्वर, नेत्ररोग को सही करता है तथा आमाशय के चयापचय किया को व्यस्थित कर पाचनतंत्र को स ही करता है, साथ ही शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। घृत कुमारी के गुणों की वजह से आजकल मार्केट में कई कम्पनियों ने घृतकुमारी को जेल के रूप में भी उपलब्ध कराया है। कुछ कम्पनियों का जूस सही है ज्यादातर कम्पनियों का जेल पूर्ण लाभदायक नहीं है। अगर हो सके तो ताजा ही सेवन किया जाय तो ज्यादा अच्छा रहेगा, तथा ताजा न उपलब्ध होने पर अच्छी कम्पनियों का जूस भी सेवन कर सकते हैं। परन्तु देख समझकर किसी जानकार वैद्य की सलाह लेकर ही सेवन करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
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