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दिव्य गुणों वाली ब्राम्हीं, divya guno wali brahmi

दिव्य गुणों वाली ब्राम्हीं, divya guno wali brahmi


दिव्य गुणों वाली ब्राम्हीं, divya guno wali brahmi

हमारा आयुर्वेद कहता है कि अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढा दी जाये तो उसमें रोगों से लडने की क्षमता आ जाती है। और अगर व्यक्ति रोगों से बच जाये तो उसकी उम्र बढ़ जाती है दीर्घायु हो जाता है।

हमारे भारत देश में अनेकों दिव्य गुण सम्पन्न औषधियां हैं। जिनमें एक नाम ब्राम्ही बूटी का है। वैसे तो इस ब्राम्ही बूटी को सभी लोग बुद्धिवर्धक, स्मरणशक्ति को बढाने वाली मानते हें। परन्तु इसका सबसे बड़ा गुण आयुवर्धक है क्योंकि यह व्यक्ति में रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
अगर किसी व्यक्ति में रोगों से लडने की क्षमता आ जाये तो व्यक्ति अनेक रोगों से बच जाता है और व्यक्ति ज्याद समय तक स्वस्थ रहता है जिससे व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है। 

Ruta Graveolens ब्राम्ही एक छुप जाति की वनस्पति है जो हरिद्वार से लेकर बद्रीनारायण धाम के मार्ग पर बहुतायतता से प्राप्त होती है।  ब्राम्ही के गुणों से मिलती जुलती एक वनस्पति मण्डूकपर्णी भी है इसकी वजह से ब्राम्ही की पहिचान में परेशानी आती है। परन्तु अगर सही ढंग से (बारीक निगाह से) देखा जाता है। तो असली ब्राम्ही की पहिचान हो जाती है। ब्राम्ही में बहुत कुछ अच्छाई है तो उसमें कुछ कमियां भी हें। इसलिए इसे अकेली सेवन करना अच्छा नहीं रहता है। जैसे ब्राम्ही जल्दी पचती नहीं है। इसलिए इसके साथ शंखपुष्पी को मिला लेना चाहिये, ब्राम्ही के सेवन काल में भूख कम लगती है। उस परिस्थिति में बच को साथ लेना ज्यादा अच्छा है।

भैषज्य रत्नावली ग्रंथ के लेखक ने लिखा है कि भगवान धनवन्तरि ने अपने शिष्यों की स्मरणशक्ति को बढाने के लिए सारस्वत चूर्ण का निर्माण कर अपने शिष्यों को खिलाया था जिससे उनकी स्मरणशक्ति अति तीव्र हो गई थी।

ब्राम्ही रसायन - Ruta Graveolens chemical

गुरूपुष्य या रविपुष्य नक्षत्र में उखाड़ी हुई ब्राम्ही बूटी (छाया में सुखाई हुई) 100ग्राम, शंखपुष्पी 50ग्राम, मीठी बच 50ग्राम, गिलोयसत्व 20ग्राम, असगन्ध 50ग्राम, कालीमिर्च 20ग्राम इन सब को कूटपीस कर इसके बराबर मिश्री मिलाकर बन्द ढक्कन की बर्नी में रख लें। प्रतिदिन सुबह एवं रात्रि को सोते समय गाय के दूध के साथ पांच-पांच ग्राम की मात्रा में एक वर्ष तक इस चूर्ण सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता जाग्रत होती है जिससे व्यक्ति अनेक बीमारियों से बच जाता है साथ ही स्मरणशक्ति बढ़ती है, स्वर कोमल हो जाता है।

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